FM Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत को एक "जिम्मेदार पूंजीवादी" राष्ट्र के रूप में ब्रांडिंग करने का आह्वान किया है। उन्होंने देश के पारंपरिक मूल्यों जैसे टिकाऊ जीवन और जिम्मेदार उपभोग पर जोर दिया। 8वें इंडिया आइडियाज कॉन्क्लेव में बोलते हुए, सीतारमण ने कहा कि भारत को अपनी जरूरतों के अनुसार संसाधनों का उपयोग करना चाहिए, न कि लालच के अनुसार। उन्होंने पूंजीवाद की सीमाओं को स्वीकार करते हुए इसे संतुलित दृष्टिकोण के साथ अपनाने की सलाह दी।
सीतारमण ने कहा, "भारत को सर्कुलर इकोनॉमी और पुन: उपयोग के सिद्धांतों को अपनाने की आवश्यकता, वैश्विक रुझानों से प्रेरित नहीं है, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी और ज़रूरत पर आधारित है।" उन्होंने कहा कि भारत का यह दृष्टिकोण आर्थिक विकास और जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाने में मदद करेगा।
आधुनिक तकनीक और पारंपरिक ज्ञान का एकीकरण
वित्त मंत्री ने पर्यटन क्षेत्र में सुधार के लिए आधुनिक तकनीक और पारंपरिक ज्ञान को एकीकृत करने पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत के शीर्ष 100 पर्यटन स्थलों में स्व-शिक्षण डिजिटल कार्यक्रम बनाए जाएं।
- ये कार्यक्रम भारतीय वास्तुकला, पर्यटन मूल्य, और संस्कृत और पाली जैसी प्राचीन भाषाओं का महत्व समझाने में मदद करेंगे।
- सीतारमण ने कहा, "हमें बहु-विषयक दृष्टिकोण अपनाते हुए भारतीय वास्तुकला के विशिष्ट चमत्कारों को समझने के लिए सामग्री तैयार करनी चाहिए।"
इसके अलावा, उन्होंने पर्यटन को भारत की आर्थिक वृद्धि के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में विकसित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
'भारत एफडीए' के गठन का प्रस्ताव
खाद्य और औषधि सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में उच्च मानकों को स्थापित करने के लिए, वित्त मंत्री ने "भारत एफडीए" के गठन का प्रस्ताव रखा।
- यह संस्था अमेरिकी FDA (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) की तर्ज पर कार्य करेगी।
- सीतारमण ने कहा कि "भारत एफडीए" खाद्य और औषधि सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है और इससे वैश्विक मानकों के अनुरूप कदम उठाए जा सकते हैं।
विज्ञान और प्राचीन भारतीय विरासत को 'ब्रांड भारत' में शामिल करने का सुझाव
सीतारमण ने भारत की वैज्ञानिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए इसे "ब्रांड भारत" में शामिल करने का आह्वान किया।
- उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता इरविन श्रोडिंगर का उदाहरण दिया, जिन्होंने अपने सिद्धांतों के लिए वेदांत से प्रेरणा ली थी।
- सीतारमण ने कहा, "प्राचीन काल से ही विज्ञान के क्षेत्र में भारत की ताकत अटूट रही है। इस वैज्ञानिक विरासत को भारत को एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने के लिए उपयोग किया जाना चाहिए।"
उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की उत्कृष्टता को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सीतारमण का संदेश: जिम्मेदारी और नवाचार का संतुलन
सीतारमण ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को केवल आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, बल्कि जिम्मेदार उपभोग और टिकाऊ जीवनशैली को भी अपनाना चाहिए।
- उन्होंने कहा, "यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम जरूरत के अनुसार उपयोग करें और लालच से बचें।"
- साथ ही, उन्होंने भारत को विज्ञान, तकनीक और परंपरा का वैश्विक केंद्र बनाने का आह्वान किया।
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