Bollywood Singer Zubeen Garg की स्कूबा डाइविंग एक्सीडेंट में 52 साल की उम्र में मौत

Mumbai News: Sept 19, 2025। Bollywood Singer Zubeen Garg की स्कूबा डाइविंग एक्सीडेंट में 52 साल की उम्र में मौत। मनोरंजन जगत में दुखद खबर है। प्रसिद्ध प्लेबैक सिंगर जुबीन गर्ग का स्कूबा डाइविंग के दौरान एक दुर्घटना में निधन हो गया है। वह 52 वर्ष के थे।

खबरों के अनुसार, यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना तब हुई जब जुबीन गर्ग स्कूबा डाइविंग कर रहे थे। अचानक हुई इस दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। इससे जुड़े विवरण (डीटेल्स) अभी सामने आ रहे हैं।

Bollywood Singer Zubeen Garg: ने असमिया और हिंदी सिनेमा दोनों के लिए कई लोकप्रिय गाने गाए थे और वह संगीत जगत में एक जाना-माना चेहरा थे। उनके निधन की खबर से फैंस और संगीत उद्योग में शोक की लहर है।

मुख्य बिंदु (Key Details):

किसकी मौत हुई: प्रसिद्ध प्लेबैक सिंगर जुबीन गर्ग

उम्र: 52 वर्ष

मौत का कारण: स्कूबा डाइविंग के दौरान हुई दुर्घटना

विवरण: अभी और जानकारी आना बाकी है।

ज़ुबीन गर्ग: कॉलेज छोड़कर संगीत को चुना, "या अली" और "दिल तू ही बता" जैसे गीतों से बने सुपरस्टार:

भारतीय संगीत जगत में अपनी अलग पहचान बनाने वाले मशहूर गायक ज़ुबीन गर्ग का 52 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनकी अचानक हुई मौत ने संगीत प्रेमियों और प्रशंसकों को गहरे सदमे में डाल दिया। जुबीन सिर्फ एक गायक ही नहीं, बल्कि एक संगीतकार, अभिनेता और सांस्कृतिक प्रतीक भी थे, जिन्होंने असम से लेकर बॉलीवुड और बंगाली सिनेमा तक अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा।

पारिवारिक पृष्ठभूमि:

ज़ुबीन गर्ग का जन्म मेघालय के तुरा शहर में एक असमी ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता मोहिनी मोहन बोरठाकुर कवि और गीतकार थे, जबकि उनकी मां इली बोरठाकुर खुद संगीत से जुड़ी हुई थीं। कला और संस्कृति से भरपूर इस वातावरण ने ही ज़ुबीन को संगीत की ओर प्रेरित किया। उनकी बहन जोंगकी बोरठाकुर भी अभिनेत्री और गायिका थीं, जिनका निधन 2002 में एक कार दुर्घटना में हो गया।

शिक्षा और संगीत की ओर रुझान:

उन्होंने तामुलपुर हायर सेकेंडरी स्कूल से पढ़ाई की और बाद में बी. बरूआ कॉलेज, गुवाहाटी में दाखिला लिया। हालांकि उन्होंने डिग्री पूरी नहीं की और संगीत को ही अपने जीवन का रास्ता बना लिया। युवावस्था में ही उन्होंने गाना गाने और संगीत रचने का अभ्यास शुरू कर दिया था।

शुरुआती करियर और असमिया एल्बम:

साल 1992 में उन्होंने यूथ फेस्टिवल में भाग लिया और गोल्ड मेडल जीता। इसी वर्ष उनका पहला असमिया एल्बम अनामिका रिलीज हुआ जिसने उन्हें स्थानीय स्तर पर बड़ी लोकप्रियता दिलाई। इसके बाद रितु, जापुनोर जुर, जुनाकी मोन, माया और आशा जैसे एल्बमों ने उन्हें असमिया संगीत का चमकता सितारा बना दिया।

मुंबई में कदम और इंडी-पॉप एल्बम:

1995 में वे मुंबई आए और चांदनी रात, जलवा, युही कभी, जादू और स्पर्श जैसे पॉप एल्बमों से हिंदी संगीत में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। उनकी आवाज़ की मिठास और अनोखी शैली ने उन्हें जल्दी ही पहचान दिलाई।

बॉलीवुड में सफलता:

बॉलीवुड में उन्हें सबसे बड़ी सफलता मिली 2006 में रिलीज़ फिल्म गैंगस्टर के गाने या अली से। यह गाना इतना सुपरहिट हुआ कि जुबीन रातों-रात स्टार बन गए। इस गीत के लिए उन्हें बेस्ट प्लेबैक सिंगर का पुरस्कार भी मिला। इसके अलावा उन्होंने कृष 3 का दिल तू ही बता, दम मारो दम का जीना है, राज 3 का क्या राज है जैसे कई हिट गाने गाए।

बंगाली सिनेमा और अन्य भाषाओं में योगदान:

बंगाली फिल्मों में भी उनकी आवाज़ ने लोगों को दीवाना बना दिया। मोन, शुधु तुमी, प्रेमी, चिरोडिनी तुमी जे अमर, रोमियो, पोरन जय जोलिया रे जैसी फिल्मों में उनके गाने सुपरहिट रहे। उनके गाए पिया रे पिया रे, ओ बंधुरे और लगेना भालो जैसे गीत आज भी युवाओं की प्लेलिस्ट में शामिल हैं।

निजी जीवन:

साल 2002 में ज़ुबीन गर्ग ने असम की फैशन डिजाइनर गरिमा सैकिया से विवाह किया। उनका वैवाहिक जीवन शांत और निजी रहा, लेकिन संगीत ने हमेशा उनके जीवन का केंद्र स्थान बनाए रखा।

निधन और विरासत:

52 वर्ष की उम्र में उनका निधन एक बड़े झटके की तरह आया। वे अपने पीछे एक विशाल संगीत विरासत छोड़ गए हैं। असमिया संस्कृति को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने और बॉलीवुड को कुछ अनमोल गीत देने का श्रेय हमेशा उन्हें जाता रहेगा।


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जुबीन गर्ग के बारे में अधिक जानकारी आप Wikipedia से भी ले सकते है|  


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