पीरियड्स आने से ठीक पहले कई महिलाओं को गैस और पाचन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के लक्षणों का हिस्सा होती है। पीरियड्स से पहले शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो कोलन पर असर डालते हैं और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (GI) लक्षण जैसे कि गैस और पेट में भारीपन का कारण बनते हैं। आइए जानते हैं कि ये हार्मोनल बदलाव कैसे गैस बनने का कारण बनते हैं।
हार्मोन्स और उनका प्रभाव
1. एस्ट्रोजन
एस्ट्रोजन का स्तर पीरियड्स के पहले बढ़ जाता है, जिससे गैस, कब्ज, और आंतों में हवा का फंसना आम हो जाता है। यह हार्मोनल उतार-चढ़ाव कोलन को प्रभावित करता है और पेट में असहजता महसूस होती है।
2. प्रोजेस्टेरोन
पीरियड्स के समय प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है, जिसके कारण गर्भाशय अपनी परत को निकालता है और मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव होता है। इस प्रक्रिया के दौरान भी पाचन तंत्र पर प्रभाव पड़ता है, जिससे गैस बनने की संभावना बढ़ जाती है।
3. प्रोस्टाग्लैंडीन
प्रोस्टाग्लैंडीन फैटी एसिड हार्मोन की तरह होते हैं जो गर्भाशय को सिकुड़ने में मदद करते हैं। यदि इनकी मात्रा अधिक होती है, तो ये आंतों की मांसपेशियों को भी सिकोड़ सकते हैं, जिससे गैस और पाचन समस्याएं हो सकती हैं।
गैस से बचने के उपाय
गैस की समस्या को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। जैसे कि आहार में बदलाव, नमक का सेवन कम करना और योगासन करना।
- स्वस्थ आहार: फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन, नट्स, और बीज जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थ खाएं।
- नमक का सेवन नियंत्रित करें: प्रतिदिन 2,300 मिलीग्राम से अधिक नमक न लें। इससे पानी की कमी होती है और गैस की समस्या बढ़ सकती है।
- योगासन: ऐसे योगासन करें जो शरीर में फंसी हुई हवा को बाहर निकालने में मदद करते हैं।
कब करें डॉक्टर से संपर्क?
अगर मासिक धर्म के दौरान या उसके पहले गैस और पाचन संबंधी समस्याएं कुछ दिनों से ज्यादा समय तक बनी रहती हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। लंबे समय तक चलने वाली समस्या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकती है।
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