Maharashtra Amazing Village: महाराष्ट्र के इस गांव की परंपरा और मान्यताएं पूरे राज्य में अनोखी हैं। यहां भगवान हनुमान की पूजा नहीं की जाती, बल्कि उनके शत्रु निंबा दैत्य की पूजा होती है। मारुति गाड़ियों पर बैन और हनुमान जी के नाम का निषेध इस गांव को बाकी दुनिया से अलग बनाता है। यह गांव एक अनोखी धार्मिक मान्यता को अपने भीतर संजोए हुए है, जो इसे अन्य सभी गांवों से अलग करता है।
महाराष्ट्र में एक अनोखा गांव है, जहां भगवान हनुमान की पूजा नहीं होती। यहां के लोग निंबा दैत्य को पूजते हैं, जो हनुमान के शत्रु माने जाते हैं। इस गांव में हनुमान का नाम लेना भी पाप समझा जाता है। यही वजह है कि यहां "मारुति" ब्रांड की गाड़ियां भी प्रतिबंधित हैं, क्योंकि भगवान हनुमान का एक नाम "मारुति" भी है। अगर कोई व्यक्ति गलती से मारुति की गाड़ी लेकर इस गांव में पहुंच जाता है, तो उसकी गाड़ी को तुरंत तोड़ दिया जाता है। इस परंपरा ने इस गांव को बाकी सभी से अलग बना दिया है।
Maharashtra Amazing Village: निंबा दैत्य की पूजा का कारण
मारुति गाड़ियों पर बैन का कारण
हनुमान से जुड़े त्योहारों पर भी पाबंदी
इस गांव में हनुमान जयंती, दशहरा या राम नवमी जैसे त्योहार भी नहीं मनाए जाते। यहां तक कि लाल झंडा भी नहीं लगाया जाता, क्योंकि इसे हनुमान जी का प्रतीक माना जाता है। यहां हर शुभ काम से पहले निंबा दैत्य की पूजा की जाती है। गांव के लोग इसे अपनी परंपरा मानते हैं और पीढ़ियों से इसका पालन करते आ रहे हैं।
धार्मिक तत्व | गांव की परंपरा |
---|---|
हनुमान जी | पूजा निषिद्ध, नाम लेना पाप समझा जाता है |
निंबा दैत्य | मुख्य देवता, हर शुभ काम में पूजा की जाती है |
लाल झंडा | प्रतिबंधित, हनुमान जी का प्रतीक मानते हैं |
मारुति गाड़ियां | पूर्ण प्रतिबंधित, गांव में प्रवेश पर तोड़ दी जाती हैं |
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिबंध
इस गांव के लोग अपनी बेटियों की शादी भी उन गांवों में नहीं करते, जहां हनुमान की पूजा होती है। उनका मानना है कि ऐसा करने से निंबा दैत्य नाराज हो सकते हैं। गांव में अगर किसी शुभ कार्य का आयोजन होता है, तो उसमें विशेष रूप से निंबा दैत्य की पूजा होती है। यहां तक कि गांव के धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भी हनुमान जी का नाम लेना मना है।
Maharashtra Amazing Village: धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं
गांववालों की मान्यता है कि निंबा दैत्य ने उन्हें कई संकटों से बचाया है, इसलिए वे उनकी पूजा करते हैं। गांव के लोग इसे अपनी सांस्कृतिक धरोहर मानते हैं और इसे लेकर बेहद गर्व महसूस करते हैं। पीढ़ियों से चली आ रही इस परंपरा को गांव के लोग पूरी श्रद्धा के साथ निभा रहे हैं।
Post a Comment