महज चेचिस पर ही झुर्रियों ने ली अंगड़ाई है महज हाड़-मांस में ही कल-पुर्जों की हुई घिसाई है बाखुदा मो…
सोचने का अंदाज़ बदलो दुनिया बदल जायेगी शुलों को गुलों में बदलते चलो मंजिल खुद दोड़ी चली आएगी दुश्मन …
दर्द का बाज़ार है ,ज़ख्मो का व्यापार है बहते खून पसीने का मोल क्या यहाँ ? शराबों में डूबा हुआ गुले ग…
यु ट्यूब में नहाकर आई हो, या देसी ठर्रा पीकर आई हो, गूगल गम खाकर आई हो, या कोलावेरी डी गाकर आई…
उसकी याद दिलाती हे , उसका चेहरा बताती हे, मंद-मंद बहते हुए यूँ गुनगुनाती हे उसका नाम, ये ढलती…
काश, की मेरे सिने में भी दिल होता, मेरे ना सही, किसी और के सिने में धड़कता, उसके एहसासों का मनचला मं…